आखिर कब तक .........


आखिर कब तक .........

यह बिन मौसम होने वाली बरसात ,
और  मौसम के बदलते मिजाज़ 
यह पेड़ों का यूँ गिरना एवं कटना , 
ऊपर से यह नदियों का निरंतर स्तर गिरना 


यह सड़कों पर अनगिनत गाड़ियों एवं अन्य वाहनों  का बढ़ता धुआं 
और जगह जगह कूड़ाघर , उनपर भिनभिनाती हुए  मक्खी मच्छरों  का बसा डेरा 
इस दूषित एवं  प्रदूषित हवा में बढ़ते हुए  किटानुं
बिमारियों का घर बन रहा है हमारा प्यारा  पर्यावरण 


जिस दुनिया को भगवान् ने इतना खूबसूरत बनाया 
इस मानव जाती के सुखी जीवन  के लिए फल, फूल अन्न से संसार को भर डाला 
आज वही इन्सान अपने इर्द गिर्द की दुनिया की कदर करना भूल गया है 
इतनी हसीं वादियों समुंद जंगलों  जीव जंतुओं को नष्ट होते चुप चाप खड़ा है 

कब तक, आखिर कब तक हम मनुष्य आँखें मूंदे रहेंगे ..
अपने पर्यावरण अपने संसार का यूँ विनाश होते देखते रहेंगे 
अगर जल्द ही हमनें अपने पर्यावरण को न बचाया ,कोई कदम न उठाया 
अफ़सोस हम और  हमारी आने वाली पीड़ियाँ ..जी ना  सकेंगे ...

Comments

Popular posts from this blog

Analysing the Model Tenancy Act 2020

FIRST DIWALI AT P.E.C-chhoti diwali day and dhanteras day

स्वच्छ भारत अभियान में नागरिक एवं समाज की भूमिका