मंदिरा"
मंदिरा
मैं, ८० साल की मंदिरा" ,अकेली बेबस इस छोटे से कमरे से दुनिया को देखती हूँ ,
बीस साल पहले मेरी दुनिया रंगीन थी
अलग थी ख़ुशी से भरी थी
जीवन मे उमंग थी हर सुबह जीने की एक नयी उम्मीद थी ,
यह वही कमरा है, यह वह घर है जहाँ मैंने अपनी ज़िन्दगी के सबसे
हसीं पल बिताये
इस घर में मेरा हँसता खेलता परिवार था,
मेरी ज़िन्दगी में सब कुछ था, सम्पूर्ण थी ,
पर आज यह कमरा मेरे लिए जेल के सामान है, एक काल कोठरी के समान है
वही पलंगवही कुर्सी और खिड़की
जिससे मैं हर बदलते मौसम को देखती हूँ
दिन और रात इसी बिस्तर पर बैठी महीने
और साल गिनती रहती हूँ .
एक वक़्त था जब मेरे साथ सब थे, मेरे बच्चे, मेरी दुनिया मेरे संग थे,
और आज मेरे पास कोई नहीं, इस बूढी दादी/नानी के लिए किसी के पास
दो पल नहीं
जिन बच्चों को मैंने लाड से पाला जिनके लिए अपना सब दे डाला आज वही मुझ पर चिल्लाते हैं ,
जिन पोते पोतियों को अपने हाथ से
खिलाया आज वही मेरी बीमारी का मज़ाक उड़ाते हैं
होली हो या दिवाली शादी हो या कोई और
अवसर मैं सिर्फ इस खिड़की से बाहर देखती हूँ ,
जीवन के बदलते रंग, मौसम के बदलते ढंग लोगों को हंसते
खिलखिलाते खेलता देख मन ही मन दिन भर रोती हूँ ,
क्या गलती थी मेरी, क्या एक अच्छी माँ नहीं बन पाई मैं? अक्सर ये भगवान् से पूछती हूँ
क्यों जिंदा रखा है मुझे, क्या सुख है ऐसे जीने में, जब पल पल मैं रोज़ मरती हूँ?
सोचती हूँ जेल में रह रहे कैदी भी मुझसे बेहतर होंगे, ज्यादा खुश होंगे ,
उनसे और कोई बात करने वाला तो होता
होगा, हाल पूछने वाला तो होता होगा
मुझे सुबह और शाम खाना दिया
जाता पानी दवाई दी जाती, और अकेला छोड़ दिया जाता था
पाँच बेटे बहु , पोते पोतीयाँ होने के बावजूद,
मुझ से कोई बात करने वाला नहीं रह जाता था
कोई हंसाने वाला नहीं, कोई माँ कहने वाला नहीं, कोई दादी कहने वाला नहीं ,
दिन रात यह सुनने के लिए कान तरस जाते,
रोज़ सोचती हूँ, आज कुछ अलग होगा, आज शायद कोई मुझसे प्यार से बात करेगा,
इन छोटी छोटी खुशियों के लिए किसी के पास मेरे लिए समय नहीं ,
जीवन के ८० साल जी लिए, अब थक गई हूँ, अब जीने की और इच्छा नहीं ,
बस जाते जाते येही भगवान् से पूछना चाहती हूँ, क्यूँ बनाया हमें
क्यूँ मुझे माँ बनाया, ऐसे बेटों से तो बिन औलाद की माएं ही ज्यादा खुश होंगी
पर रोज़ रात उसी निराशा के साथ सोने की
कोशिश करती हूँ
मैं मंदिरा" , और ये मेरी कहानी,
इस दुनिया में मुझ जैसी और भी कई मंदिरा" होंगी और हैं ,
ये घिनौना सच भी जानती होंगी ,
कि मौसम बदल गया है. .........
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